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यूँ तो मोबाइल हमारे राज्य झारखण्ड में २००० के बाद ही आ गया था पर तब ये बड़े लोगो के जेब की शोभा हुआ करता था . लोग २ से ५ हज़ार तक देने को तैयार होते थे बीएसएनएल के सिम के लिए . यह सब देख कर हम जैसे लोगो के लिए दिवा स्वप्न की तरह था . फिर dhiru bhai के reliance आने के बाद यह कुछ ऐरे गैरों के हाथ में भी दिखने लगा . पर हम तो उनसे भी गए बीते थे . खैर , २००६ में अपनी हिम्मत हुई की एक मोबाइल ले लिया जाये . और मैंने अपनी जेब खर्च और दोस्तों के भरोसे धीरुभाई ब्रांड एक मोबाइल ले लिया.
तो भाई मैंने मोबाइल ले लिया और गर्व से अपनी जेब में रखता . वैसे तो मैं ज्यादा बात करता नहीं था . उसका असली उपयोग तो मेरा रूम मेट और साथी करता जो घंटो इन्कोमिंग का फायदा उठाता था . इस ने मेरा साथ करीब ढेढ़ वर्षो तक दिया फिर वो मेरे भतीजे की हाथ का खिलौना बन गया .
उसके बाद दूसरा लिया तो भी मैंने धीरू भाई के प्रति वफ़ा दारी निभाई . उसने भी दो वर्षो तक मेरे साथ वफ़ादारी निभाई . पर मेरी जरूरते बढ़ गई थी मोबाइल सिर्फ बात करने का माध्यम न होकर बहुत कुछ बन चूका था तो मैंने उससे गद्दारी करने की सोची और उसकी मोर्डन सौत लाने के सपने संजोने लगा . मेरी वफादार को इससे बहुत इससे बहुत ठेस पहुची और इससे पहले की मैं उसे त्यागु वह पहले ही किसी और के साथ भाग गई.
तो दोस्तों अब मैं अकेला तो नहीं रह सकता था . तत्काल अपने पिता जी को फरमान सुनाया की मुझे ६००० रूपये चाहिए . इन्टरनेट के लिए मोबाइल की जरुरत है . तत्काल आदेश का पालन हुआ और मैंने शाम को ही चमचमाती नोकिया ५१३० ले आया
हाँ तो भाई मै बड़ा खुश था और बड़े मजे से इसके फीचर्स का आनंद ले रहा था . बस यही से मुसीबतों की शुरुआत हुई . पता नहीं किसकी नजर लगी . पहले १ माह तो ये बहुत अच्छी चली . जब मै अपने गाँव गया तब तक ठीक थी उसके अड़ाल घोड़ी की तरह बेलगाम हो गई . इसकी जब मर्ज़ी तब चालू हो जाये जब मर्ज़ी तब बंद . कब इसकी लाइट ऑफ़ हो जाये कब असकी नज़र वापस आ जाये को ठिकाना नहीं . बस मैंने उसे रख देना ही बेहतर समझा . मै पशाताप की अग्नि में जल रहा था की गद्दारी की सजा मुझे मिलनी ही थी. फिर भी , हौसला था की वापस जाते ही दुकानदार के मुह पर मरूँगा . खैर मैं वापस आया और सबसे पहले सारे काम छोड़ कर गया . दुकानदार के पास . वहा जाकर मेरे सारे पेंच ढीले पड़ गए.
दुकानदार ने जिम्मेदारी लेने से इंकार कर दिया और सारा दोष नोकिया पर मध् दिया . उसने कहा की आप नोकिआ सेंटर जाइये वो बदल देंगे या बना देंगे . मरता क्या न करता . मै किसी तरह नोकिया सेंटर धुंध कर गया वह ३ खुबसूरत रमणियो ने मेरा स्वागत किया की आप इसे छोड़ जाये ४ दिनों के भीतर आपको हम कॉल करेंगे . मैं अपना सा मुह लेकर वापस आ गया . चार दिन तो क्या १४ दिन बीत गए . तब मैंने फ़ोन किया .काफी मिन्नतो के बाद फोन लगा . उसने कहा की आप ले जाइये बन गया है. मैं खुश हुआ . और लेकर आया . ४ दिनों तक ये ठीक रहा फिर से मुझे दुःख के सागर में डूबा गा . मैं फिर उसे लेकर गया . ५ बार मेरे साथ ये क्रम चला . फिर मैंने उपभोक्ता अदालत में शिकायत की सोची की सीधा नोकिया को नेस्तनाबूद कर दूंगा . वह भी टांय टांय फिस्स. फिर नोकिया सेंटर वाले ने कहा की अबकी इसे बदल देता हु. मैंने अहसान माना. एक महीने के बाद वह बदल कर आया रंग भी बदल चूका था . पर शायद कोई बुरा ग्रह मेरे साथ था १५ दिन बाद वो भी जवाब दे गया . फिर से वही सिलसिला चालू. तप मैं घर गया बगैर मोबाइल . वहा घर वालो ने जिद करके मुझसे दूसरा मोबाइल खरीदवा दिया .३००० जब जेब से गए तो भी ख़ुशी थी .
इसने निराश नहीं किया. पर नियति को मुझे सताने में मजा आता था . वापस आते वक्त जब ट्रेन पहुचने वाली थी तब मैं बाथरूम गया और अनायास उसे विसर्जित कर आया .
वापस आने के बाद इतना हुआ की वो मेरा पुराना फोन मुझे वापस मिल गया . एक महीने उसके साथ बड़े मस्ती में गुज़ारे . एक दिन बस में सफ़र करते वक्त मै अपन पसंदीदा म्यूजिक सुन रहा था की किसी का दिल उसपे आ गया . और मैंने सारे झंझटो से मुक्ति पाली . जान कर मैंने एक उच्वास ली और सच्चे ह्रदय से उसे श्रधांजलि दी.
पर अभी भी कुछ बाकि था . मैंने अपने बचत से उसी दिन नया मोबाइल लिया .
इसने भी १ माह बाद दम तोड दिया . मै डरते हुए दुकानदार के पास गया . उसने खुस्शी से बदल दिया . फिर २ माह बाद उसकी भी ज्योति चली गई .. मै वापस गई तो दूकानदार ने सर्विस सेंटर का रास्ता दिखा दिया . वहा पर मुझे २ दिन का वादा किया पर वपस मुझे मिला २ माह के बाद . इस बिच मैंने अपने एक दोस्त को ५०० उधर दी थी उसके ब्याज के तौर पर मुझे अपना फोन दिया .
बाद में वो मूलधन भी लेकर चला गया . पर मुझे एक बात सिखा गया की old is gold. बहरहाल मेरा फोन बनकर आया . पर दो दिन बाद नै परेशानी की साथ वो जब मर्जी चालू जब मर्जी बंद . तबसे मैंने उससे सिर्फ गाने सुनने शुरू किए और मेरा ५०० अपनी पी पी की कीमत वसूल कर दे रहा है . अब मै खुश हु. इतिश्री मोबाइल कथा.
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