अंधेरगर्दी
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valentine डे के अवसर पर मै कुछ विचार पेश करता हु ……….
ये कैसा चाहतों का सिलसिला है ,
न तुमसे शिकायत न खुद से गिला है .
ज़िन्दगी किस मोड़ पर ले आई है मुझे ,
न तुमको पाने की हिम्मत है और ,
न ही तुमको खोने का हौसला है .
मुझे तडपाने की अजीब तुम्हारी अदा है ,
शायद तुझे न पाने की ये सजा है .
केसे खो दूं एक पल में मैं तुझे ,
बड़ी मुद्दत से तू मुझे मिला है .
अब तो जीना भी मुश्किल हो गया तेरे बिन ,
महफ़िल भी तनहा हो गयी तेरे बिन .
ज़िन्दगी किस मोड़ पर ले आई है मुझे ,
न तुमको पाने की हिम्मत है और ,
न ही तुमको खोने का हौसला है .
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