Menu
blogid : 4181 postid : 230

भगत सिंह आतंकवादी थे!!!!!!

अंधेरगर्दी
अंधेरगर्दी
  • 26 Posts
  • 322 Comments

visfot.कॉम से साभार..

आज पूरा देश शहीद-ए-आजम भगतसिंह और उनके क्रांतिकारी साथियों राजगुरु और सुखदेव की शहादत को याद कर रहा है वहीं दूसरी तरफ शहादत के 80 साल और स्वतंत्रता के करीब 63 साल बाद भी शहीद-ए-आजम भगत सिंह को आतंकवादी कहा जा रहा है। विश्वास तो नहीं होता है, लेकिन आगरा से प्रकाशित एक पुस्तक में भगतसिंह,राजगुरु और सुखदेव को क्रांतिकारी शहीद का दर्जा नहीं दिया गया है,बल्कि साफ शब्दों में आतंकवादी लिखा जा रहा है। यह पुस्तक है माडर्न इंडिया और इसके लेखक हैं केएल खुराना। पुस्तक में लिखा है कि… उनमें से बहुतों ने हिंसा का मार्ग अपना लिया और वे आतंकवाद के जरिये भारत को स्वतंत्रता दिलाना चाहते थे। पंजाब,महाराष्ट्र और बंगाल आतंकवादियों के गढ़ थे और भूपेन्द्र नाथ दत्त,गणेश सावरकर,सरदार अजित सिंह, लाला हरदयाल,भगत सिंह,राजगुरु,सुखदेव,चन्द्रशेखर आजाद इत्यादि आतंकवादियों के प्रमुख सरगना थे…महत्वपूर्ण बात यह है कि इस पुस्तक का बड़ी संख्या में उपयोग बीए,एमए के विद्यार्थियों के अलावा प्रशासनिक सेवा परीक्षा में बैठने वाले करते हैं।

भारतीय स्वतंत्रता के इतिहास में 23 मार्च 1931 का दिन काफी महत्वपूर्ण माना गया है, क्योंकि इसी दिन शाम 7 बजे शहीद-ए-आजम भगतसिंह और उनके क्रांतिकारी साथियों राजगुरु और सुखदेव को अंग्रेज हुकूमत ने फांसी दे दी थी। उस वक्त और भी क्रांतिकारी थे,जो हिंसा का मार्ग अपना कर देश को स्वतंत्रता दिलाने का प्रयास कर रहे थे। तब भी उन्हें लोग क्रांतिकारी कहते थे न कि आतंकवादी,लेकिन आगरा से पिछले वर्ष प्रकाशित 11वें संस्करण में भी माडर्न इंडिया उन्हें आतंकवादी लिख रही है और कॉलेज छात्र इसे पिछले 16 वर्षो से पढ़ रहे हैं।

शहीद को आतंकवादी लिखने वाली इस पुस्तक को हर साल लाखों छात्र पढ़ते हैं और हजारों शिक्षक पढ़ाते हैं, लेकिन न कभी पढऩे वालों ने सोचा और न ही पढ़ाने वालों ने। इतना ही नहीं पुस्तक के लेखक, प्रकाशक, मुद्रक और यहां तक कि प्रूफ रीडर ने भी 11 संस्करणों में सुधार की जरूरत नहीं समझी। जबलपुर के निष्काम श्रीवास्तव, जो कि इंडियन लॉ रिपोर्ट के एक्स असिस्टेंट एडीटर रह चुके हैं ने मामले को उठाते हुए बताया कि जब उन्होंने इस पुस्तक में शहीद को आतंकवादी के रूप में पढ़ा तो उन्हें काफी अफसोस हुआ कि स्वतंत्रता के 63 साल बाद भी इस गलती को सुधारा नहीं जा सका है। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि अगले संस्करण में प्रकाशक इस गलती को सुधार लेंगे।

गांधीवादी विचारधारा के पत्रकार अभिशेख अज्ञानी कहते हैं कि ब्रिटिश लेबर सरकार ने ब्रिटिश साम्राज्यवादी हितों के लिए, भारत के तीन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों-भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के प्राणों की आहुति ले ली। आर. मैकडोनाल्ड के नेतृत्व में ब्रिटिश लेबर सरकार द्वारा किया गया यह अब तक का सबसे जघन्यतम कार्य है। तीनों भारतीय क्रान्तिकारियों को दी गई फांसी,लेबर सरकार के आदेश पर की गई जान-बूझकर,सोची समझी राजनीतिक साजिश का नतीजा है,जो दर्शाता है कि मैकडोनाल्ड सरकार ब्रिटिश साम्राज्यवाद की रक्षा के लिए किस हद तक गिर सकती है। उन्होंने मांग की है कि सरकार को इस पुस्तक के लेखक और प्रकाशक के खिलाफ कार्यवाई करनी चाहिए।

उल्लेखनीय है कि भगत सिंह की देशभक्ति का हर कोई कायल था। 12 अक्टूबर 1930 को अपने भाषण में पं.जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि..चाहे मैं उनसे सहमत हूं या नहीं, मेरा हृदय भगत सिंह के शौर्य और आत्म बलिदान पर पूर्ण रूप से मुग्ध होकर उनकी स्तुति करता है। भगत सिंह का साहस अत्यधिक विरल किस्म का है। यदि वायसराय सोचता है कि हमें इस अद्भुत शौर्य और उसके पीछे कार्य कर रहे महानतम ध्येय की प्रशंसा नहीं करनी चाहिए,तो यह सरासर गलत है।

शहीद ए आज़म भगत सिंह सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पाकिस्तान के लोगों और बुद्धिजीवियों के बीच भी काफी लोकप्रिय हैं। भारत की तरह ही पाकिस्तान में भी भगत सिंह की लोकप्रियता का आलम यह है कि कराची की जानी मानी लेखिका ज़ाहिदा हिना ने अपने एक लेख में उन्हें पाकिस्तान का सबसे महान शहीद करार दिया है। भगत सिंह के जन्म स्थल लायलपुर (अब पाकिस्तान का फैसलाबाद) के गांव बांगा चक नंबर 105 को जाने वाली सड़क का नाम भगत सिंह रोड है। इस सड़क का नामकरण फरहान खान ने किया था जो सेवानिवत्त तहसीलदार हैं और वह अब 82 साल के हो गए हैं। लाहौर में भगत सिंह के गांव के लिए जहां से सड़क मुड़ती है वहां भगत सिंह की एक विशाल तस्वीर लगी है। पाकिस्तान के कई बुद्धिजीवी लोग एक वेबसाइट चलाते हैं जिस पर भगत सिंह के पूरे जीवन के बारे में दिया गया है। पाकिस्तानी कवि और लेखक अहमद सिंह ने पंजाबी भाषा में केड़ी मां ने जन्म्या भगत सिंह नामक पुस्तक लिखी है। पाकिस्तान के जाने माने कवि शेख़ अय्याज़ ने भी अपने लेखों और कविताओं में शहीद ए आज़म को अत्यंत सम्मान दिया है। हिना ने लिखा है कि यदि शहीदों की बात की जाए तो शहीद ए आज़म भगत सिंह का नाम पाकिस्तान के सबसे महान शहीद के रूप में उभर कर सामने आता है। गुलामी के दिनों में पूरा भारत एक था और देश का बंटवारा नहीं हुआ था। देश को आज़ादी मिलने के साथ ही 1947 में देश का बंटवारा हुआ और अलग पाकिस्तान बन गया लेकिन वहां के लोगों के दिलों में भगत सिंह जैसी हस्तियों के लिए सम्मान में जऱा भी कमी देखने को नहीं मिलती।

वहीं शहीद-ए-आजम भगतसिंह को अपना बताने वाले भारत में ही उनकी शहादत को आतंकवाद का नाम दिया जा रहा है। यहीं नहीं  शहीद-ए-आजम भगत सिंह के परिजन अपने एक रिश्तेदार को न्याय दिलाने के लिए पिछले 21 साल से कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि जब पंजाब में आतंकवाद चरम पर था उस दौरान पुलिस ने उनके रिश्तेदार की हत्या कर दी थी। वह 1989 से ही लापता हैं। भगत सिंह की भांजी सुरजीत कौर के परिवार को उम्मीद है कि वे 45 साल के कुलजीत सिंह दहत के लिए न्याय हासिल कर सकेंगी। अम्बाला के जत्तन गांव के रहने वाले कुलजीत 1989 में रहस्यमय ढंग से गायब हो गए थे।

सुरजीत कौर, भगत सिंह की छोटी बहन प्रकाश कौर की बेटी हैं। वह कहती हैं कि उनके नजदीकी रिश्तेदार कुलजीत को 1989 में होशियारपुर के गरही गांव से पंजाब पुलिस ने पकड़ा था। उन दिनों (1981-95) पंजाब में सिख आतंकवाद चरम पर था। इसी सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट को मामला समाप्त करने के दिशा-निर्देश दिए हैं और होशियारपुर के सेशन कोर्ट को इस साल के मार्च तक मामले में सुनवाई पूरी करने के लिए कहा है। जिसके बाद से सुरजीत को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है। सुरजीत का परिवार 1989 से ही कुलजीत की रिहाई के लिए प्रयासरत था। बाद में पुलिस ने कहा कि जब कुलजीत को हथियारों की पहचान के लिए ब्यास नदी के नजदीक ले जाया गया था तो वह उसकी गिरफ्त से निकलकर भाग गया था।

प्रकाश कौर ने सितंबर 1989 में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग गठित किया। आयोग ने अक्टूबर 1993 में अपनी रिपोर्ट सौंपी। इस रिपोर्ट में पंजाब पुलिस अधिकारियों की ओर इशारा किया गया और कहा गया कि पुलिस की कुलजीत के भागने की कहानी काल्पनिक है। अगर शहीदों के साथ इस देश में ऐसे ही सलूक होते रहे तो कौन मां अपने बेटे को शहीद-ए-आजम भगतसिंह राजगुरु,सुखदेव,भूपेन्द्र नाथ दत्त,गणेश सावरकर,सरदार अजित सिंह, लाला हरदयाल और चन्द्रशेखर आजाद इत्यादि से प्ररणा लेने को कहेगी

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply to rachna varmaCancel reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh